Published in both print and online version of Dainik Jagaran, April 25, 2011
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...................................Official Blog of Gramoday Chetna Kendra ग्रामोदय चेतना केंद्र का आधाकारिक ब्लॉग
चतरा। दलित अधिकार सुरक्षा मंच के द्वारा पिछले 26 दिसंबर से चलाया जा रहा पदयात्रा गुरुवार को संपन्न हो गया। इस पदयात्रा के दौरान मंच के लोगों ने सिकीद एवं पाराडीह पंचायत के दस गांवों का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान गांव के दलितों को उनके हक व अधिकार के लिए जागरूक किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे स्वयंसेवी संस्था ग्रामोदय चेतना केंद्र के सचिव सविता बनर्जी ने बताया कि पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य दलित समुदाय को जागरूक कर भूमि, पहचान एवं रोजगार के मुद्दे पर सक्रिय करना था, ताकि दलित समुदाय संगठित होकर अपना सामाजिक पहचान बना सके तथा उनका हक उन तक पहुंच सके। कार्यक्रम के अंतिम दिन भुइयांडीह में एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें काफी संख्या में दलित समुदाय के लोग उपस्थित होकर अपनी समस्याओं को रखा।
चतरा। दलितों को जागरूक करने के लिए ग्रामोदय चेतना केंद्र द्वारा किया जा रहा पांच दिवसीय पदयात्रा रविवार को सदर प्रखंड के संघरी और जलेद का दौरा किया। यात्रा का नेतृत्व कर रहे संस्था के संस्थापक सदस्य डा. बद्री प्रसाद वर्मा ने कहा कि इन गांवों के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से भी पूरी तरह वंचित हैं। ग्रामीणों को पिछले तीन वर्षो से जन वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न नहीं मिला है।
चतरा। दलितों की भूमि पहचान एवं रोजगार को लेकर उन्हें जागरूक करने के लिए दलित अधिकार सुरक्षा मंच शनिवार से सदर प्रखंड में पांच दिवसीय पदयात्रा का आगाज किया है। पदयात्रा की शुरूआत सजना गांव से की गई है। इस आयोजन में ग्रामोदय चेतना केंद्र और संपूर्ण ग्राम विकास केंद्र सहयोगी की भूमिका में हैं। पदयात्रा का नेतृत्व ग्रामोदय चेतना केंद्र के संस्थापक सदस्य डा. बद्री प्रसाद वर्मा एवं सचिव सविता बनर्जी कर रही हैं। इसमें सीरा राम, रीना देवी और जदुल भारती भी शामिल हैं। सजना के बाद होरलाबार में पदयात्रा का किया गया। डा. बद्री प्रसाद वर्मा ने दलित समान वर्षो से उपेक्षित और शोषित है। उनके हक और अधिकार के लिए वैसे तो सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है, लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें उनका हक और अधिकार नहीं मिल पाता है। दलित समुदाय आज भी अंधविश्वास का जीवन जी रहे हैं। उनके बीच इस पदयात्रा के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पांच दिनों के भीतर इस यात्रा के माध्यम से दलित बहुल गांवों एवं टोलों में जाकर उन्हें अपने हक व अधिकार के प्रति जागरूक किया जाएगा।
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